शाम को लॉन में बैठकर, मिसेज त्रिपाठी और उनकी पड़ोसन बातें कर रही हैं। किसी दूसरी औरत की चर्चा हो रही है। उनकी पड़ोसन कहती है- वो बहुत चालाक है, और अच्छा होने का दिखावा करती है। ठीक, एक शिकारी की तरह। मिसेज त्रिपाठी ने मतलब पूछा, तो वो कहती हैं कि - एक समय की बात है। एक पेड़ की शाखा पर, एक चिडि़या और चिड़ा बैठा था। किसी को आते देखकर चिडि़या बोली- चलो उड़ जाते हैं, वरना ये इनसान हमें मार देगा। चिड़ा बोला- इसका लिबाज देखो, ये एक अच्छा इनसान लग रहा है। इसे देखकर, लगता नहीं ये शिकारी है, तुम डरो मत।
इतने में, उस आदमी ने बंदूक निकाली और गोली सीधा, चिडे़ को लगी। वो मर गया। चिडि़या इनसाफ चाहती थी, इसलिए राजा के पास गई। और सारी वारदात बताई। राजा के आदेश पर, उसके सिपाही, उस शिकारी को पकड़ कर लाए। राजा चिडि़या से बोला- अब बता, इसे क्या सजा दूं। रोती हुए चिडि़या बोली- सजा नहीं, बस इतना कहना चाहती हूं, कि अगर तू शिकारी है, तो शिकारी का लिबाज पहन। शराफत का ढोंग करके, किसी को धोखा मत दे। असल में, हमें, उनसे डरने की जरूरत नहीं, जो बुरे हैं। हम, पहले ही उनसे दूरी बनाकर रखते हैं। लेकिन डरने की जरूरत उनसे है, जो अच्छे होने का दिखावा करके, आपके करीबी बन जाते हैं।